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तीरम तीर / इरशाद अज़ीज़

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|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
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|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
अरजुण बो ईज है
जिको लगा सकै तीर
आपरै निसाणै माथै

पण सोचूं हूं
घर-घर महाभारत मांय
भीसम पितामह जैड़ा कितरा
तीरां री सेज पर सूवै है।
</poem>
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