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11:17, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
अरजुण बो ईज है
जिको लगा सकै तीर
आपरै निसाणै माथै
पण सोचूं हूं
घर-घर महाभारत मांय
भीसम पितामह जैड़ा कितरा
तीरां री सेज पर सूवै है।
</poem>
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