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{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
चौफेर
थारो ईज रंग है
थारो ईज रूप है
साच कैवूं तो
थारै सूं बारै कीं है ईज कोनी
पण
थारी खोज करतो मिनख
नीं ठाह थनैं क्यूं अणदेख्यो करै
जणै ईज तो ठोकरां खावतो
फिरै है
आपरै मांयलै उजाड़ मांय।
</poem>
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चौफेर
थारो ईज रंग है
थारो ईज रूप है
साच कैवूं तो
थारै सूं बारै कीं है ईज कोनी
पण
थारी खोज करतो मिनख
नीं ठाह थनैं क्यूं अणदेख्यो करै
जणै ईज तो ठोकरां खावतो
फिरै है
आपरै मांयलै उजाड़ मांय।
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