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सावण (दोय) / इरशाद अज़ीज़

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|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
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|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
आंख्यां सूं झड़ता सुपना
तिरस मांय
डूब्योड़ो रेतीलो समदर
म्हारै चौफेर हिलोरां मारतो
सावण री दरकार नीं राखै।
</poem>
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