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पंचायती / इरशाद अज़ीज़

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साच जे थनैं बगत मिलै तो आ है कै जिकी म्हैं कैवूं म्हारी सोच्योड़ी बात कदैई गळत नीं हो सकै आपो आप सूं माफ करजै भायला!बंतळ कर थूं जिको कैवै अर समझै सोध बां सवालां रा जबाब बो सौ-कीं गळत हैजिका लोग थनैं पूछै बो आपरी समझदारी तो थूं आपै सूं बारै आ जावै बोलतो रैयो अर पंचायती करण रो म्हैं उणनै देख‘र इतरो ई कोड है तो औ ईज सोचतो रैयो कैकर थारै मांय उठतै कांई अैड़ा लोग भी थारै ई खिलाफ कवि हुवण रो दम भरया करै विचारां रै बिचाळै जिकां रै हिवड़ै मांय सिवाय जळण सूं थूं भाजतो अर नफरत रै कीं नीं है जीसा कैवता हा- मिनख कीं भी बण जावै पण सै सूं पैली चोखो मिनख बणनो जरूरी हैजिको चोखो मिनख होसी बो सै कीं चोखो ई करसी।औला लेंवतो फिरै।
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