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11:43, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
हेत रो खेत
कदैई नीं सूखै
अपणायत रै गांव मांय
हरख रा घूघरा
हमेस ई बाजै
विगसाव रै पगां
जीसा कैवता हा
जठै हेत
बठै मुळक, उजास
अर मिनखपणै री सौरम।
</poem>
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