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11:49, 15 जून 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
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<poem>
कद तांई थूं
बारम्बार इणीज भांत
चुपचाप
दांत भींच
तिलमिलांवतो रैसी
कद तांई
औ बुगलो करतौ रैसी
थारो गटको
नींतर
घुमा’र टेक
इण सूनै बगत री गुद्दी मांय
जे दिन मांय
तारा निजर नीं आवै
तो देखजै..।
</poem>
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