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उस जगह सरहदें नहीं होतीं / हस्तीमल 'हस्ती'
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11:47, 18 जून 2020
<poem>
उस जगह सरहदें नहीं होतीं
जिस जगह
ऩफरतें
नफ़रतें
नहीं होतीं
उसका साया घना नहीं होता
हमसे ये हरकतें नहीं होतीं
रास्ते उस
तऱफ
तरफ़
भी जाते हैं जिस
तऱफ
तरफ़
मंज़िलें नहीं होतीं
</poem>
Abhishek Amber
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