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Kavita Kosh से
चाह रहेगी सदा नवेली मन को रोग लगा कर देख
जंतर-मंतर, जादू-टोने, झाड़-फूँक, डोरे-ताबीज ताबीज़
छोड़ अधूरे-आधे नुस्खे ग़म को गीत बना कर देख