|रचनाकार=पद्माकर शर्मा 'मैथिल'
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जन्म: ७ अक्तूबर १९४४, सरदार शहर, (ज़िला चूरु), राजस्थान
निधन : ४ अगस्त १९८७, गाँधीनगर स्टेशन, (जयपुर) राजस्थान
शिक्षा: एम. ए., पीएचपी.एच. डी.
संप्रति: व्याख्याता (हिंदी –विभाग) , राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दौसा, (जयपुर) राजस्थान
बचपन मरूधरा की गोदी में और बिहार के हरेभरे खेतोंखलिहानों खेतों-खलिहानों और आम के बगीचों मे में अत्यंन्त उच्छ्रिंख्लता उच्छृंखलता में बीता । सरदारशहर सरदार शहर से मैट्रिक फिर चूरू में सांइस का असफल विद्यार्थी। पुनः आर्टस पढ़ना प्रारभ हुआ तो रंगमंच के बेहतरीन कलाकार और वाद-विवाद में देश के अमूमन सारे प्रतियोगिताएँ जीत डाली! इन्ही जीती हुई प्रतियोगिता-राशियों और गर्मी की छुट्टियों में कॉलेज पुस्तकालय में काम कर ख़ुद-मुख्तारी में “बी॰आई॰टी॰एस॰ “बी.आई.टी.एस. -पिलानी’ से एम॰ ए॰ एम. ए. और पीएचपी.एच. डी. की।
हाईस्कूल में पढते समय ही गीत और मुक्तक रचने लगे जो कि तात्कालिक पत्र-पत्रिकाओं में स्थान भी पाने लगे। बी॰ ए॰ बी. ए. में विश्व-विख्यात उपन्यासकार टामस हार्डी की भाग्यवादिता की ओर आकृष्ट हो इनका अध्ययन, ‘कामायनी’ के रचियता जयशंकर प्रसाद की ‘नियति’ विषयक व्यापकता और निगूढ़ता की ओर उन्मुख हुआ। इसी विषय पर आगे शोध करते कविवर नगेंद्र, कविवर सुमित्रानंदन पंत, कवियत्री महादेवी वर्मा, डॉ॰ सरनाम सिंह शर्मा ‘अरुण’, डॉ॰ दशरथ ओझा, और अन्य युग-कलामर्मज्ञों से साक्षात्कार एवं सानिध्य कर ‘प्रसाद साहित्य में नियतिवाद’ विषय पर शोध-प्रबंध लिखा ! जिसमें ‘नियति’ शब्द को तीन अर्थ – ‘नियम समष्टि, चेतन सत्ता तथा भाग्य ‘प्रदान करते हुए प्रथम बार ये स्थापना की गई कि ‘नियति’ शब्द का एक अर्थ ‘भाग्य भी है, किंतु भाग्य ही नहीं।
कविवर हरिवंश राय बच्चन, पद्माकर शर्मा के काव्य संग्रह ‘दर्द मेरा- स्वर तुम्हारा’ की भूमिका मैं लिखते हैं, अपनी प्रारंभिक कविताओं में शायद प्यार के उल्लास अवसर के नवयुवक भोक्ता बन यौवन का सहज विश्वास लिए ये कहते हैं कि ‘प्यार है तो एक बात पूरी है’।