भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
कौन से देश से गर्म पछुवा चली,
दाल की नव कली अधखिली रह गयी।
गीतिका एक स्वच्छंद नाधुमास मधुमास की,
पाँखुरी के आधार पर सिली रह गयी।
कुंज-वन में न आयी सुरभि-राधिका,
यक्षिणी जल रही बीच अलकापुरी।
बाहु-धन-बल बिना न्याय लाचार है।
भीड़ ही दे रही है दिशा देश को,