ध्यानावस्थित होते-होते, सब सुलझाता शौचालय।
ऑफिस में घर में मित्रो मित्रों में, चाहे जितनी हो किचकिच,
लेकिन शांति-निकेतन जैसा, सबको भाता शौचालय।
समाधान कर हर उलझन का, सर्जन कराता शौचालय।
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आधार छंद-लावणी
विधान-30 मात्रा, 16, 14 पर यति, अंत में वाचिक गा
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