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मोबाइल / मंगलेश डबराल
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,
06:34, 20 जून 2020
वे फिर से अपनी ज़ंजीरें ठीक करते हैं बेल्ट कसते हैं
वे अपने मोबाइलों को अपने हथियारों की तरह उठाते हैं
और फिर से कुछ
ख़ऱीदने
ख़रीदने
के लिए चल देते हैं।
</poem>
Abhishek Amber
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