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इतना कहकर मार दिया धक्का,<br>सुबकते हुए बोला<br>पाँच का सिक्का-<br>हमें छोटा समझकर<br>दबाते हैं,<br>कुछ भी कह लें<br>दान-पुन्न के काम तो<br>हम ही आते हैं।<br><br/poem>