Changes

किरणें / पवन चौहान

No change in size, 15:06, 2 जुलाई 2020
मंद-मंद मुस्कुराती किरणें
मधुर मुस्कान बिखराती हुई
मेरे ऑंगन आँगन में आकर
उजाला करके घर में मेरे
आज सवेरे-सवेरे
रोज खिड़की से अंदर आती हैं
जाली से छनकर
षीशे शीशे को चीरमुझे जगा जाती हैं
मैं उस दिन उदास हो जाता हूँ
जिस रोज वे नहीं आतीं
359
edits