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माघ हे सखि मेघ लागल, पिया चलल परदेश यो
अपनो वयस ओतहि बिताओलबितओता, हमरा के बारि बयस हमर कोन अपराध यो-2फागुन हे सखि आम मजरल, कोइली शब्द बाजे घमसान योकोइली शब्द सुनि हिया हिय मोर सालय, नयना नीर बहि गेल यो चैत हे सखि फुलल बेलीपर्व लगईछई, भ्रमर लेल निज बास जाय सब सखी गंगा स्नान योतेजि मोहन गेल मधुपुरसब सखी पहिरे पियरी पीताम्बर, हमरा सऽ कओने अपराध के देव दुःख देल योबैसाख हे सखि उखम उसम ज्वाला, पिया रोपल चम्पा गाछ घाम सं भीजल शरीर योताहि तर हम ठाढ़ भेलौंरगरि चन्दन अंग लेपितहूँ, बहि गेल शीतल बयार जून गृह रहितथि कन्त यो
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