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{{KKRachna
|रचनाकार=महादेवी वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=सांध्यगीत / महादेवी वर्मा
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<poem>क्या तिमिर कह जाता करुण?<br>क्या मधुर दे जाती किरण?<br>किस प्रेममय दुख से हृदय में<br>अश्रु में मिश्री घुली?<br><br>
किस मलय-सुरभित अंक रह-<br>आया विदेशी गन्धवह?<br>उन्मुक्त उर अस्तित्व खो<br>क्यों तू भुजभर मिली?<br><br>
रवि से झुलसते मौन दृग,<br>जल में सिहरते मृदुल पग;<br>किस व्रतव्रती तू तापसी<br>जाती न सुख दुख से छली?<br><br>
मधु से भरा विधुपात्र है,<br>मद से उनींदी रात है,<br>किस विरह में अवनतमुखी <br>लगती न उजियाली भली?<br><br>
यह देख ज्वाला में पुलक,<br>नभ के नयन उठते छलक!<br>तू अमर होने नभधरा के<br>वेदना-पय से पली!<br>पंकज-कली! पंकज-कली!<br><br/poem>