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<poem>
, मुझको पहाड़ ही प्यारे है
प्यारे समुंद्र मैदान जिन्हें
नित रहे उन्हें वही प्यारे
मुझको तो हिम से भरे हुए
अपने पहाड़ ही प्यारे है
</poem>
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