भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
[[Category:तेलुगु भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>
हमें पता है
कोई भी गाछ वटवृक्ष के नीचे बच नहीं सकता ।
सुगंधित केवड़े की झाड़ियाँ
कटहल के गर्भ के तार
काजू बादाम नारियल ताड़
धान के खेतों, नहरों के पानी
रूसी कुल्पा नदी की मछलियाँ
और समुद्रों में मछुआरों के मछली मार अभियान को
तबाह करते हुए
एक इस्पाती वृक्ष स्टील प्लाण्ट आ रहा है ।
झुर्रियाँ झुलाए बग़ैर
शाखाएँ-पत्तियाँ निकाले बग़ैर ही
वह घातक वृक्ष हज़ारों एकड़ में फैल जाएगा ।
गरुड़ की तरह डैनों वाले
तिमिगल की तरह बुलडोजर
उस प्लांट प्लाण्ट के लिए मकानों को ढहाने और गाँवों को खाली ख़ाली कराने के लिए
आगे बढ़ रहे हैं ।
खै़र, तुम्हारे सामने वाली झील के पत्थर पर
सफ़ेद चूने पर लौह-लाल अक्षरों में लिखा है —
यह जगह छोड़ने की बजाय
हम यहाँ मरना पसन्द करेंगे" ।
</poem>