गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ज़र्रे ज़र्रे में महक प्यार की डाली जाए / 'दानिश'
8 bytes added
,
08:47, 28 जुलाई 2020
सोच कर अर्ज़-ए-तलब वक़्त के सुल्तान से कर
माँगने वाले तेरी बात न ख़ाली जाए
</poem>
Sharda suman
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader,
प्रबंधक
35,147
edits