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|संग्रह=नीहार / महादेवी वर्मा
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जिस दिन नीरव तारों से
रवि ने मनुहार भरीं सीं।
दीपकमय कर ड़ाला डाला जब
जलकर पतंग ने जीवन
सीखा बालक मेघों ने