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गायत्री सावित्री सरस्वती माता ॥
धन्ये ही सरस्वती जगदम्बी माई॥
अष्ट सिद्धि देउन गरिप्‍जनलाई गरिप्‌जनलाई ॥१॥
धन्ये भावीले लेपिदियो पूर्व कमाई॥
प्रणाम लगाऊँ चरण समाई॥
हरिजिउका चरणमा रखवाल रहन्छु॥
उदयलहरी सूरम सूस्म (क्ष्म) कहन्छु ॥२॥
बडो मता छुइन सबको दासी॥
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