गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जि़न्दगी है, फरमाइश तो नहीं / अशोक शाह
No change in size
,
16:38, 7 अगस्त 2020
जहाँ साथ न हो तुम्हारी परछाई भी
आख़िर यह ज़िन्दगी तुम्हारी है
किसी की
फ़रमाईश
फ़रमाइश
तो नहीं
</poem>
वीरबाला
5,156
edits