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गंगा-स्तुति / विद्यापति

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[[Category:गीत]]
{{KKCatMaithiliRachna}}<poeMpoem>बड बड़ सुख सार पाओल तुअ तीरे .छोड़इत निकट नयन बह नीरे . :::कर जोरि बिनमओ विमल तरंगे . :::पुन दरसन होए पुनमति गंगे .एक अपराध छेमव मोर जानी .परसल माय पाय तुअ पानी . :::कि करब जप तप जोग धेआने :::जनम कृतारथ एकहि सनाने .भनइ विद्यापति समदओं तोंही .अंत काल जनु बिसरह मोही .</poem>
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