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06:21, 17 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
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<poem>
तुम्हारा यह 'मदर्स डे'
तीन सौ चौंसठ दिनों को भारमुक्त करने की एक सुविधा का नाम है
या किसी पोस्टर-प्रतियोगिता का भव्य आयोजन..?
यह प्रश्न पूछने की
इस फ़ेसबुकिया गुस्ताख़ी करने के बदले मुझे क्या सज़ा देने जा रहे हो दोस्तो….
वैसे मैं आप ही की गौरव-भूमि से बोल रहा हूँ
जहाँ आज तक किसी माँ ने
अपनी सन्तान के लिए कोई ख़ास दिन फ़िक्स नहीं किया है...!
</poem>
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