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|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
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<poem>
पानी कैसे जा सकता है अपने रास्ते...
अच्छे पड़ोसी हो ना तुम लोग –
मंत्रीजी की कोठी का ख़्याल रखना तुम लोगों की ज़िम्मेदारी है

अपने-अपने पानी को समझाकर रखो...!
</poem>
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