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06:39, 17 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= सुरेन्द्र डी सोनी
|अनुवादक=
|संग्रह=मैं एक हरिण और तुम इंसान / सुरेन्द्र डी सोनी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
देख सको तुम
यौवन की
पराकाष्ठा...
इसलिए
आँधियाँ
अपने साथ
उड़ा ले गईं हैं
सभी खेजड़ियों की
चूनड़ियाँ..!
</poem>
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