भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कारी / हरिमोहन सारस्वत

1,361 bytes added, 07:34, 17 अगस्त 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिमोहन सारस्वत |संग्रह= }} {{KKCatRajasthaniR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिमोहन सारस्वत
|संग्रह=
}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
कद लागै
किन्नै ई चोखी
पण फेरूं ई
आपां लगावां
अर धिकावां
बगतसारू
ठौड़-ठौड़ कारी

अबखायां में आडो आणो
दोरो सोरो टैम टिपाणो
बींधती निजरां साम्ही
थुड़पणो लुकाणो
नेम है कारी रो

बस पूगतां
आपरो धरम
निभावै है कारी
ढकै है चीजबस्त
आच्छी माडी सारी

पण फेर ई
कांय ठाह क्यूं
गडै है
रड़कै है
सब री निजरां में कारी
लगावणियै नै ई
आ बोकरै
उण पर झूंझल
अर कदे कदे बा लागै
जैर सूं भी खारी

कदास इणी दुभांत री
रीस जतावै है कारी
आपां कित्तोई लकोवां
दुनिया नै आपरो वजूद
बतावै है कारी
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits