Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सोनरूपा विशाल |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सोनरूपा विशाल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
रतजगों का हिसाब रहने दो
कुछ अधूरे से ख़्वाब रहने दो

झील सा दायरे में मत बाँधो
कोशिशों को चिनाब रहने दो

सिर्फ़ सूरत का क्या है,कुछ भी नहीं
अपनी सीरत गुलाब रहने दो

राब्ता कुछ तो तुमसे रखना है
तुम वो सारे जवाब रहने दो

चाहती हूँ कि तुमसे कह दूँ मैं
तुम मेरा इंतेखाब रहने दो

एक दूजे को पढ़ चुके हैं हम
बंद अब ये किताब रहने दो

</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,988
edits