Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विक्रम शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विक्रम शर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
मेरे हाथों से आखिर क्या बनेगा
बनेगी तू या कुछ तुझसा बनेगा

बहुत से झूठ आपस में मिलेंगे
तो इक टूटा हुआ वादा बनेगा

बनाने वाले ने ये कह दिया है
मेरे हिस्से का सब आधा बनेगा

तुझे तो भूल जाएंगे मगर हाँ
तेरी यादों से इक रिश्ता बनेगा

मुझे ये बात खाये जा रही है
मेरे मातम के दिन जलसा बनेगा

अगरचे फिर से ये दुनिया बनी तो
भला क्या कोई फिर मुझसा बनेगा

</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,967
edits