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|संग्रह=उस जनपद का कवि हूँ / त्रिलोचन
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{{KKCatKavita}}<poem><pre>प्रगतिशील कवियों की नई लिस्ट निकली हैउस में कहीं त्रिलोचन का तो नाम नहीं था ।
आँखें फाड़-फाड़ कर देखा, दोष नहीं था
पर आँखों का। सब कहते हैं कि प्रेस छली है,
तुम सागर लांघोगे? – डरते हो चहले से ।
बड़े बड़े जो बात कहेंगे, सुनी जायगी
व्याख्याओं में उनकी व्याख्या चुनी जायगी।</pre>
</poem>