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रघुनाथ शांडिल्य

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'''काव्य विविधा'''
* [[मोहमाया ममता नै मार, मन मजहब की माला रटले / प. रघुनाथ]]
* [[संशय संसार भरे मेंम्य, करके उत्पात चलगे / प. रघुनाथ]]
* [[पांच तत्व का बना पुतला, आग आकाश पवन पृथ्वी जल / प. रघुनाथ]]
* [[नाव जल में पड़ी, माया सन्मुख लड़ी / प. रघुनाथ]]
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