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फूल के रस नै के जाणै, जो हो पत्थर का कीड़ा,
बाँझ लुगाई के ना जाणै, के हो जापे म्य पीड़ा,
मान का पान लगया होया बीड़ा, ना मीठा ना खारा।।
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