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03:54, 27 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=पूजा प्रियम्वदा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
आज गाड़ी रिवर्स करते हुए
फिर से ब्रेक भूल गयी
नार्थ एवेन्यू की लम्बी सड़क पर
ढूंढ रही थी
शायद बाकी हों
तुम्हारे लौटते कदमों के निशाँ
या मेरे किसी खामोश आँसू से
कंक्रीट का सीना फटा हो
कुछ नहीं बचा
तुम्हारी तस्वीरें देखती हूँ
उसके साथ
मेरे होने न होने का फ़र्क़
दिखता है तुम्हें ?
डॉक्टर कहते हैं
कटे हुए हाथ-पाँव के होने का
एहसास रहता है उम्र भर
वैसे ही सहेज लेना
मेरी याद!
</poem>