भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
27 bytes removed,
07:24, 27 अगस्त 2020
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह '"दिनकर'"|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पुरुष वीर बलवान,
देश की शान,
हमारे नौजवान
घायल होकर आये हैं।
पुरुष वीर बलवानकहते हैं,<br>देश की शानये पुष्प, दीप,<br>हमारे नौजवान<br>घायल होकर आये हैं।<br><br>अक्षत क्यों लाये हो?
कहते हैंहमें कामना नहीं सुयश-विस्तार की, ये पुष्पफूलों के हारों की, दीप,<br>अक्षत क्यों लाये हो?<br><br>जय-जयकार की।
हमें कामना नहीं सुयश-विस्तार तड़प रही घायल स्वदेश की,<br>शान है।फूलों के हारों की, जय-जयकार की। <br><br>सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।
तड़प रही घायल स्वदेश की शान है।<br>ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,सीमा पर संकट में हिन्दुस्तान है।<br><br>ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।
ले जाओ आरती, पुष्प, पल्लव हरे,<br>ले जाओ ये थाल मोदकों ले भरे।<br><br> तिलक चढ़ा मत और हृदय में हूक दो,<br>दे सकते हो तो गोली-बन्दूक दो।<br><br/poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader