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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रफुल्ल कुमार 'परवेज़'
}}
{{KKPustak
|चित्र=Raasta_banta_rahe_prafull_parvez.jpg
|नाम=रास्ता बनता रहे / प्रफुल्ल कुमार 'परवेज़'|रचनाकार=[[प्रफुल्ल कुमार 'परवेज़']]
|प्रकाशक=उदभावना प्रकाशन
|वर्ष=
|विविध=--
}}
*[[सब के हिस्से से उन्हें हिस्सा सदा मिलता रहे / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़]]
*[[हर गवाही से मुकर जाता है पेट / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[हमसे हर मौसम सीधा टकराता है / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[वो सराबों के समुंदर में उतर जाता है / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[हर सहर धूप की मानिंद बिखरते हुए लोग / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[ज़मीन छोड़ कर ऊँची उड़ान में ही रहा / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[ये कौन-सी फ़ज़ा है ये कौन-सी हवा / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[जब कभी उनको उघड़ा जाएगा / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[समझ सोच कर गुल हटाए गये हैं / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[जिसे देखो परेशाँ आजकल है / प्रफुल्ल कुमार 'परवेज़’]]
*[[चल रहे हैं फिर भी लगता है खड़े हैं / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[देखना सुनना सुनाना सोचना / प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[ख़ुद को किस्मत से तोड़ कर देखो / प्रफुल्ल कुमार 'परवेज़']]
*[[आदमी अब भी कहाँ आज़ाद है/ प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
*[[बेबसों के बेकसों के ख़ून को पीता हुआ/ प्रफुल्ल कुमार ‘परवेज़’]]
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