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<poem>

मेरी हथेली पर तुम '''अधरों से प्यार लिख दो''',
समस्त आकाश-गंगाओं का संसार लिख दो।
कामनाएँ मुखर- अब यों सिसकती न छोड़ो,
मधुरगीतों के गुंजन व नित प्रसार लिख दो।
प्रियतम! आँखें मूँद- बाँचूँगी उम्रभर इन्हें ही,
तुम यह ढाई अक्षर का जीवन सार लिख दो।
</poem>