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05:28, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
{{KKCatRubaayi}}
<poem>
तहरीर मुक़द्दर की मिटाई न गई
थी रेत की दीवार उठाई न गई
उन से भी कोई कदम बढ़ाया न गया
हम से भी कोई बात सुनाई न गई।
</poem>