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06:57, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अंबर खरबंदा
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
काश कहीं ऐसा हो जाता
क़तरा भी दरिया हो जाता
क़तरा भी दरिया हो जाता!
मैं भी उस जैसा हो जाता
मैं भी उस जैसा हो जाता!
हंगामा बरपा हो जाता
हंगामा बरपा हो जाता!
मेरा भी चर्चा हो जाता
मेरा भी चर्चा हो जाता!
लोगों को क्या-क्या हो जाता
</poem>