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{{KKRachna
|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
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}}
{{KKCatKavita}}<poem>जहाँ हँसे हैं लाल फूल, वहाँ
नीले भी अक्सर खिल जाते
निश्छलता कितनी प्रकॄति में
१३ नवम्बर ०८
 
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