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|रचनाकार=शार्दुला नोगजा
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दोस्त मैं कन्धा तुम्हारा जिस पे सर रख रो सको तुम
वेदना के, हार के क्षण, भूल जिस पे सो सको तुम
मैं तुम्हारे प्रणय की पहली कथा, पहली व्यथा हूँ
मैं तुम्हारा सत्य शाश्वत, मैं तुम्हारी परी-कथा हूँ ।
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