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Kavita Kosh से
कब कहा मैनें कि वो मिल जाये मुझको, मै उसे
दोस्त बन कर दुष्मनों दुश्मनों-सा वो सताता है मुझे
फ़िर भी उस जालिम पे मरना अपनी फ़ितरत है तो है
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