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बाटा मा बैठी / नीता कुकरेती

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<poem>
बाटा मा बैठी अपणी ख्यूट्यूँ की पौड़ी बिवाईं
हेरदू रयूँ हाँ दगड़या हेरदू रयूँ
माया की झौल मिसी -मिसी आग
आँख्यूँ मा रिटणी जनी ब्याली सी बात
एक बूदँ माया न भरीं मेरी गागर
सैरी उमर छलकौंदी रयूँ हाँ दगड़या छलकदी रयूँ
बाटा....
बूती छा स्वाणा दिन स्वीणौं मा
कुतग्यळी अजौं तक लगीं जिकुड़ी मा
पीपल चैंरी ज्वा तिन छै चिणाई
सैरी उमर पाणी चरदी रयूँ हाँ दगड़या चरदी रयूँ
बाटा............
डाँडीं काँठी भी बचळदी रैनी
नी बींगी जाणी वू क्या छै बोन्नी
मन छौ बिज्यूँ पर बुझि छै आँखी
सैरी उमर त्वे खोजदी रयूँ हाँ दगड़या खोजदी रयूँ
बाटा .............
आँख्यूँ मा असधरी बोगणी रैनी
गौळा बाडूली झकझोरी ऐनी
सुमिरणू रयूँ तेरी नौ की माला
मोती बणी मी गठेन्दी रयूँ हाँ दगड़या गठेंन्दी रयूँ
बाटा .............

</poem>
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