733 bytes added,
03:30, 4 जनवरी 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category: ताँका]]
<poem>
48
आज खोला था
पुराना बहीख़ाता
हिसाब जोड़ा
जो व्यर्थ था गँवाया
बस तुझको पाया।
49
छीजा है तन
तार तार जीवन
लोहे के पाँव
कुचल गए मन
तुझमें बसे प्राण।
50
महको तुम
मधुमालती बन
रजनी भर
रूप सँवारे भोर
देख तेरी मुस्कान।
</poem>