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Kavita Kosh से
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23
रिश्ते - नाते नाम के, बालू की दीवार
आँधी बारिश में सभी, हो जाते बिस्मार।
24
रिश्तों में बाँधा नहीं,जिसने सच्चा प्यार
जीवन -सागर को किया, केवल उसने पार।
25
सारी कसमें खा चुके,बचा नहीं कुछ पास।
जो फेरों का फेर था, तोड़ दिया विश्वास।
26
बहती धारा में वही , गए छोड़कर हाथ।
27
मौका पा चलते बने, अवसरवादी लोग।
28
नीड तोड़ उड़ते बने, कपट भरे वे बाज।
शाप तुम्हें देंगे नहीं, दुआ करें दिन रैन।
31
सचमुच सब तर्पण किए, सप्तपदी -सम्बन्ध।
बहा दिए हैं धार में, धोखे के अनुबंध।
32
35
अधर तपे हैं दर्द से,घनी हो गई प्यास।
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