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06:58, 18 जनवरी 2021 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमुद बंसल
}}
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<poem>
'''165'''
जिंदगी में जब आप
किसी दूसरे के लिए प्रार्थना करते,
प्रभु आपकी सुन उनके दुख हरते।
जब आपकी ज़िंदगी को मिले खुशी
तब याद रखना
प्रभु ने है किसी दूसरे की प्रार्थना सुनी ।
यही लेन-देन है ज़िंदगी ।
'''166'''
जीवन में संतरे के बीजों को गिन सकते है।
एक बीज में कितने संतरे छिपे नहीं गिन सकते।
भविष्य अज्ञात है।
<poem>