भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मेरे निरीह सूने जीवन में
कामना की हँसी-हँसी शान्त
आ बसे देवता मेर मेरे मन में मन के कान्त
हँसी खिलखिलाई मन में ही मन की