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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category:हाइकु]]
<poem>
52
'''गुँथा साँसों में'''
''''''मधुरिम आशीष'''
मेरी शारदा!'''
53
अँजुरी भरे
अर्पित करूँ तुझे
स्नेह -कमल।
54
बरसा सोना
पाखी भर उड़ान
गा रहे गान।
55
ओ मेरे मीत!
हरे मन का शीत
नेह की धूप।
56
दे दूँ मुस्कान
जब, जहाँ तुमको
होए थकान।
57
'''स्वप्न में मोद'''
'''शिशु बन दुबकी'''
'''स्नेहिल गोद।'''
58
स्वप्न ऊर्जित
आलिंगनबद्ध हो
भाव चहकें।
59
''''''सृष्टि- प्रलय'''
शाश्वत है प्रणय'''
'''तुझी में लय।'''
60
'''जन्मों का चक्र'''
''''''तोड़के हर बार'''
आ जाऊँ द्वार।'''
61
भाव-सरिता
करें अवगाहन
निखरे मन।
62
एक याचना
बस एक कामना
संग तुम्हारा।
63
थके जो पाँव
हाथ तुम थामना
सफ़र आसाँ।
64
नियति-खेल
भले दुःख उठाएँ
छली गुर्राएँ।
65
बदले रूप
जीवन छाँव-धूप
चलते चलें।
66
अश्रु पोंछ लो
कड़ी धूप बाहर
छाया मैं बनूँ।

</poem>