Changes

भोर ही न्योति गई ती / बेनी

1 byte removed, 16:40, 26 फ़रवरी 2021
{{KKCatSavaiya}}
<poem>
भोर ही नयोति न्योति गई ती तुम्हें वह गोकुल गाँव की ग्वालिनी गोरी.आधिक अधिक राति लौं बेनी प्रवीन कहा ढिग राखी करी बरजोरी.आवै हँसी मोहिं देखत लालन,भाल में दीन्ही महावर घोरी.एते बड़े ब्रजमंडल में न मिली कहूँ माँगेन्हु रंचक रोरी.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,103
edits