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रेखाएं / भारती पंडित

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गौर से देखा करती हूँ ..
जब मिल जाती है अनायास सफलता
तो इन लक्जीरों लकीरों में एक
नई लकीर खोज लेती हूँ
कि भाग्य साथ दे रहा है
असफलता हाथ आते है
तो इनमें ढूंढ लेती हूँ
एकाध कटी-फटी 'रेखा '
और बनाती हूँ पोजिटिव ऐटीट्यूड
कि किस्मत ही खराब है |
</Poem>
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