गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जीने का दुख / केदारनाथ अग्रवाल
36 bytes removed
,
18:13, 8 मार्च 2021
<poem>
जीने का दुख
न जीने के सुख से बेहतर है,
इसलिए कि
दुख में तपा आदमी
आदमी आदमी के लिए तड़पता है;
सशुल्क योगदानकर्ता ५
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,122
edits